Stock exchange kya hai, भारत में स्टॉक एक्सचेंज परंपरागत रूप से ब्रोकर्स तथा बाजार विशेषज्ञों का एसोसिएशन है। आम जनता तथा वित्तीय संस्थानों द्वारा सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग का नियमत: संचालन करने के लिए इसकी स्थापना की गई है यह दो प्रकार के हैं BSE और NSE जिसमें जो कंपनी भी शेयर मार्केट में लिस्टेड कराना चाहती है तो मुंबई स्टॉक एक्सचेंज या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज मैं रजिस्टर्ड करवाना पड़ती हैं और इस दोनों एक्सचेंज को सेबी के द्वारा रेगुलेट किया जाता है और सेबी के नियमानुसार सभी कंपनियां को भी चलना पड़ता है।

यह सिक्योरिटीज एंड कॉन्ट्रैक्ट (रेग्यूलेशन) ऐक्ट 1956 के अंतर्गत स्टॉक एक्सचेंज भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है।
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स्टॉक एक्सचेंज की कार्य प्रणाली
किसी भी बाजार में खरीद परोख्त उसकी मांग और आपूर्ति के आधार पर निर्धारित होती है इस खरीद और बिक्री का रिकॉर्ड रखने का काम स्टॉक एक्सचेंज करता है। स्टॉक एक्सचेंज को अर्थव्यवस्था का बैरोमीटर भी कहा जाता है यह जानना भी कम रोचक नहीं है की सबसे पहले स्टॉक एक्सचेंज कब अस्तित्व में आया ऐसा माना जाता है की दुनिया का पहला शेयर बाजार बेल्जियम के एंडवर्प शहर में सन 1531 के आसपास खोला गया था लेकिन अधिकृत रूम से विश्व का पहला शेयर बाजार सन 1602 में नीदरलैंड के एम्स्टर्डम शहर में स्थापित किया गया था।
अगर भारत की बात करें तो यहां सबसे पहला संगठित स्टॉक एक्सचेंज शन 18 सो 75 में मुंबई के स्थानीय दलालों के एसोसिएशन के रूप में सामने आया तब इसका नाम रखा गया था (नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर एसोसिएशन।) इस एसोसिएशन की स्थापना से पहले शेयर दलाल बरगद के पेड़ के नीचे खड़े होकर शेयरों की खरीद बिक्री किया करते थे धीरे धीरे इसी बरगद के पेड़ के नीचे BSE का जन्म हुआ जरूरत के अनुसार दलाल जगह बदलते रहे और आखिर में सन 1874 मैं आकर एक स्थाई जगह इन्हें मिली।
जिसे आज दलाल स्ट्रीट के नाम से जाना जाता है इसके बाद सन 1894 में अहमदाबाद मैं स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना हुई और 1908 मे कोलकाता में स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना की गई सन 1994 से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज(NSE) का कार्य संचालन प्रारंभ हुआ आज भारत में कुल 24 स्टॉक एक्सचेंज काम कर रहे हैं इन मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों को तीन श्रेणी ए, बी, और सी में बांटा गया है भारत में इन स्टॉक एक्सचेंजों को प्रतिभूति संविदा अधिनियम 1956 के अधीन मान्यता दी गई है।
कंप्यूटरीकृत कारोबार कैसे किया जाता है
स्टॉक एक्सचेंज मे खड़े होकर बोली लगाने की जगह अब बोल्ट व नीट प्रणालियों से शेयरों का कारोबार होता है। बोल्ट ‘BSE’ की कंप्यूटरीकृत कारोबार प्रणाली है और नीट ‘NSE’ की इन प्रणालियों की सहायता से आप शेयरों का कारोबार संचालित कंप्यूटरीकृत नेटवर्क (ऑनलाइन) के माध्यम से पूरे भारतवर्ष में एक साथ चलता है ब्रोकर अब स्टॉक एक्सचेंज जाने के बजाएं अपने कार्यालय में लगे कंप्यूटर से अपने ग्राहकों के लिए शेयर खरीदते या बेचते हैं यह कारोबार प्रातः 9:55 बजे से 3:30 बजे तक सोमवार से शुक्रवार तक होता है इस समय मैं फेरबदल भी होता है जिसकी सूचना आपको विभिन्न समाचार पत्रों तथा आपने ब्रोकर के माध्यम से मिलती है।

ब्रोकर कौन होते हैं
Stock exchange kya hai, ब्रोकर यानी दलाल स्टॉक एक्सचेंज के लाइसेंस धारी सदस्य होते हैं जो स्वयं के लिए अथवा आपने ग्राहक के लिए उसकी सहमति से सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग करते हैं ये क्लाइंट से पूरे सौदे पर कमीशन चार्ज करते हैं पूर्णकालिक ब्रोकर आपने क्लाइंट्स की सिक्योरिटीज की निगरानी रखते हैं उन्हें निवेश संबंधी सलाह देते हैं क्लाइंट के पोर्टफोलियो को प्लान करते हैं तथा उसका प्रबंध करते हैं वे अपने क्लाइंट को मार्जिन पर खरीदारी की सुविधा भी देते हैं।
एक्टिव मार्केट क्या है
जब सेकेंडरी मार्केट मे शेयरों की या कुछ विशेष शेयरों की ट्रेडिंग बड़ी मात्रा में बहुत कम समय में की जाती है तो इस स्थिति को सक्रिय बाजार या एक्टिव मार्केट कहा जाता है। इस बाजार में शेयरों की खरीद कीमत व बिक्री कीमत में काफी कम अंतर होता है ऐसी स्थिति मैं वित्तीय संस्थानों द्वारा खरीदारी अथवा बिक्री बाजार स्थिति पर विशेष प्रभाव नहीं डालती है।rank math review

एक्टिव शेयर किया है
वे शेयर जिनकी ट्रेडिंग प्रतिदिन तथा निरंतर होती है सक्रिय शेयर या एक्टिव शेयर कहलाते हैं प्रमुख कंपनियों के शेयर जो आर्थिक तथा राजनीतिक घटनाओं के प्रति संवेदनशील होते हैं इस श्रेणी में आते हैं इसके विपरीत कई शेयर ऐसे होते हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में कभी-कभार ही खरीद और बेचे जाते हैं इनको खरीदार तथा बिक्री करता ढूंढना सामान्यत मुश्किल होता है ये निष्क्रिय शेयर या इनएक्टिव शेयर कहलाते हैं इनकी खरीद वह बिक्री दरों में भी काफी अंतर होता है।
नर्वस मार्केट क्या है Stock exchange kya hai.
जब शेयर बाजार में आर्थिक तथा राजनीतिक घटनाक्रम के चलते अस्थायी मंदी के दौर अकाल सरकारी नीति में बदलाव के चलते अनिश्चय का वातावरण छा जाता है तो ऐसे नर्वस मार्केट द्वारा परिभाषित किया जाता है ऐसी स्थिति में अमूमन शेयरों की कीमत में कुछ गिरावट आती है और खरीदार बाजार से बेरुखी दिखाई देते हैं।
फंडामेंटल एनालिस्ट क्या है
आधारभूत विश्लेषण अथवा फंडामेंटल विश्लेषण बाजार तथा क्षेत्र विशेष के विशेषज्ञ होते हैं जो किसी भी सिक्योरिटी की कीमत के आकलन में फंडामेंटल तथा वैज्ञानिक नजरिया रखते हैं किसी भी सिक्योरिटी की फंडामेंटल कीमत आंकने में इनकी सलाह ली जाती है।
फंडामेंटल एनालिसिस क्या है
किसी भी कंपनी की व्यवसाय कि आधारभूत कारकों का वैज्ञानिक अध्ययन के द्वारा उसके शेयर की कीमत का आकलन आधारभूत विश्लेषण कहलाता है विशेषज्ञ उद्योग की गति ,कंपनी की बिक्री ,संपत्ति ,देनदारी ,कर्ज ,उत्पादन ,बाजार में कंपनी का हिस्सा ,कंपनी का प्रबंध ,कंपनी के प्रतिद्वंदी इत्यादि तथ्यों का अध्ययन करके तथा कंपनी की बैलेंस शीट, लाभ हानि लेखा कथा वित्तीय अनुपातों का साल दर साल अध्ययन करके कंपनी तथा उसके शेयर का आधारभूत विश्लेषण करते हैं।

किसी कंपनी में लंबे दौर के निवेश करने हेतु यह जानकारी बहुत महत्वपूर्ण होती है यद्यपि कम समय में निवेश हेतु इस जानकारी का समुचित उपयोग नहीं किया जा सकता है।Stock exchange kya hai.
फाइनेंसियल रेशियो क्या है
किसी भी कंपनी के व्यवसाय तथा उसके वित्तीय स्वास्थ है को मापने के मानक होते हैं वित्तीय अनुपात इनमें प्रमुख है करंट रेशियो, PE ratio बुक वैल्यू रेशियो, कर पूर्व लाभ विक्री रेशियो क्विक रेशियो इत्यादि इन विभिन्न अनुपातों को ज्ञात करने में बुक वैल्यू डिविडेंड कवर करंट यील्ड ईपीएस वैलेटिलिटी इत्यादि का उपयोग होता है। इस प्रकार इस लेख में सरल भाषा में सभी को दर्शाया गया है स्टॉक एक्सचेंज क्या है और यह कैसे काम करता है।https://shivasharemarket.com/
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