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शेयर होल्डर:
एक ओनरशिप क्या है
शेयर होल्डर होने के क्या लाभ है 2022.// परिभाषा, एक शेयर होल्डर जिससे आमतौर पर शेयर धारक के रूप में भी जाना जाता है, कोई भी व्यक्ति कंपनी या संस्थान होता है जिसके पास कंपनी के स्टॉक का कम से कम एक हिस्सा होता है उसे शेयर होल्डर या शेयर धारक कहते हैं।

ओनरशिप : किसी कंपनी के शेयर होल्डर न सिर्फ आर्थिक लाभ उठाता है बल्कि वह उस कंपनी का भागीदार भी बन जाता है इसका मतलब जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी का शेयर होल्डर हो जाता है तो कंपनी अपने निर्णयों में शेयर होल्डर को भी शामिल करती है शेयर होल्डर के पास किसी कंपनी के शेयरों की संख्या उस कंपनी में उसकी आंशिक भागीदारी को दर्शाती है।
A. शेयर होल्डर जिसे ज्यादातर मामलों में कंपनी की मीटिंग में शेयर होल्डर को उसके शेयर के अनुपात में वोट देने का अधिकार होता है।
B. शेयर होल्डर जिसे कुछ कंपनियों में विशेष कानून के तहत वोटिंग एवं भागीदारी संबंधी अधिकार प्रतिबंध है प्रतिबंध है और उनके निवेशकों के लिए अलग नियम है।
ओनरशिप यानी भागीदारी का मतलब यह नहीं है कि जिस व्यक्ति के पास किसी कंपनी के 100 शेयर है तो वह कंपनी के ऑफिस में जाएगा और कंपनी का बिजनेस चलाएगा ऐसा नहीं है लेकिन शेयर होल्डर के पास सीमित अधिकार होते हैं लेकिन उसके पास या अधिकार हमेशा रहता है कि वह अपने आपको कंपनी का भागीदार कर सके।
सूचना का लाभ क्या है
यदि आप किसी कंपनी के शेयर होल्डर है तो आपको कंपनी के पूरे काम ताज और उससे जुड़े प्रत्येक सूचना मिलती है आपको लगातार यह सूचना मिलती रहती है की कंपनी का काम काज कैसे चल रहा है और वह कैसी स्थिति में है इसका लाभ दिया होता है कि शेयर होल्डर कंपनी द्वारा मिली सूचनाओं के आधार पर महत्वपूर्ण निर्णय ले सकता है।
हालांकि शेयर होल्डर कंपनी के दैनिक कार्य को नियंत्रित नहीं करता है लेकिन उसे कंपनी द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों की सूचना दी जाती है और जिन मामलों में शेयर होल्डर की सहमति की जरूरत होती है वहां उनकी सहमति से ही कंपनी कार्य को आगे बढ़ाती है कंपनी द्वारा शेयर होल्डर को दी जाने वाली सूचनाओं में कंपनी के विकास के लिए किए गए महत्वपूर्ण निर्णय तिमाही रिपोर्ट तथा ऐसे कई अन्य महत्वपूर्ण सूचनाएं होती है जो शेयर होल्डर को सही निर्णय लेने में मदद करती है।
डिविडेंड का फायदा
कंपनी द्वारा घोषित किए गए डिविडेंड पर निवेशक का अधिकार होता है यदि शेयर होल्डर के पास कंपनी द्वारा निर्धारित रिकॉर्ड डेट तक उस कंपनी के शेयर है तो वह कंपनी द्वारा मिलने वाले डिविडेंड का अधिकार होता है।

जनरल मीटिंग में शामिल होने तथा वोटिंग के अधिकार का अवसर
कंपनी विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श करने के लिए आपने शेयर होल्डरों की वार्षिक जनरल मीटिंग या असामान्य जनरल मीटिंग आयोजित करती है इन मीटिंग में ना सिर्फ विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श होता है अपितु इन मुद्दों पर वोटिंग भी करवाई जाती है मीटिंग में शेयर होल्डर को यह अधिकार दिया जाता है कि वह विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात कंपनी के सामने रखें लेकिन इसका अधिकार उस व्यक्ति के पास कंपनी के शेयरों के अनुपात पर निर्भर करता है।
पूरे वर्ष के दौरान कंपनीज इन विभिन्न मुद्दों से रूबरू होती है उनमें से बहुत से ऐसे होते है जीत पर सदस्यों की सहमति आवश्यकता होती है यदि किसी मुद्दे पर असहमति बनती है तो सहमति के लिए वोटिंग करवाई जाती है शेयर होल्डर कंपनी के वास्तविक निर्णयों में भाग लेने का अधिकार होता है हालांकि बहुत से मामलों में ऐसा भी होता है कि कुछ निवेशकों का किसी मुद्दे पर अलग नजरिए होने के बावजूद उन्हें बहु संख्य निवेशकों की मर्जी पर आपनी सहमति देनी पड़ती है।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनके पास शेयरों की संख्या काफी कम होने के कारण उनका प्रभाव भी काफी कम होता है फिर भी प्रत्येक शेयर होल्डर को आपने वोटिंग के अधिकार का सावधानी से उपयोग करना चाहिए हालांकि कोई एक व्यक्ति निर्णय को नहीं बदल सकता है लेकिन यदि बहुत बड़ी संख्या में शेयर होल्डर एक साथ उपस्थित हो तो किसी भी मुद्दे पर अच्छा खासा प्रभाव डाल सकते हैं।
अतिरिक्त शेयरों का लाभ
कंपनियां समय-समय पर आपने शेयरधारकों को आप ने अतिरिक्त शेयर होल्डिंग से कुछ ना कुछ रिवॉर्ड देती रहती है जब कंपनी राइट इश्यू जारी करती है तब उस पर सबसे पहला अधिकार कंपनी के शेयरधारकों का होता है यदि शेयर धारक राइट इश्यू लेने से मना कर देते हैं तब उसे किसी बाहरी व्यक्ति को दिया जाता है राइट इश्यू के रूप में शेयर होल्डर को कंपनी बहुत बड़ा लाभ देती है।

क्योंकि वे राइट इश्यू शेयर की तत्कालिक बाजार कीमत से काम पर शेयर होल्डर्स को मिलते हैं इसी तरह बोनस शेयर के रूप में कंपनी अपने शेयरधारकों को उनके पास मौजूद शेयरों की संख्या के अनुपात मुफ्त प्रदान करती है उदाहरण के लिए विप्रो कंपनी एक शेयर पर एक बोनस शेयर की घोषणा करती है तो इसका मतलब हुआ जिसके पास पहले से विप्रो कंपनी के 20 शेयर है उनके पास बोनस शेयर मिलने के बाद यह संख्या 40 हो जाएगी।
कंपनी के सरप्लस पर अधिकार
चूंकि शेयर धारक कंपनी का भागीदार होता है इसलिए यदि कंपनी लिक्विडेशन में जाती है तो उसे सबसे आखिर मैं पैसा मिलता है तभी देनदारियां चुकाने के बाद कंपनी के पास जितनी असेट्स बचती है उसे शेयरधारकों मे वितरित कर दिया जाता है।rank math review
शेयरों का स्थानांतरण
शेयरों की खरीद बिक्री पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं होता है निवेशक अपनी मन माफिक कीमत पर शेयर बेच सकता है यदि उस कीमत पर कोई खरीदार तैयार है यदि निवेशक किसी विशेष श्रेणी के अंतर्गत आता है तो उस पर प्रतिबंध होता है उदाहरण के लिए प्रो मोटर्स को इश्यू किए जाने वाले शेयरों का लॉक इन होता है यानी उस विशेष श्रेणी के निवेशक को उन शेयरों को बेचने की अनुमति नहीं होती है।
पोस्टल बैलट क्या है
पिछले कुछ वर्षों में ही पोस्टल बैलट का कांसेप्ट अस्तित्व में आया है इससे निवेशकों को सबसे बड़ा लाभ यह हुआ है की जनरल मीटिंग में बिना समय उपस्थित हुए निवेशक कंपनी से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर वोट कर सकता है बस निवेशक को करना या होता है की कंपनी द्वारा भेजे गए पोस्टल बैलट के द्वारा अपना वोट भेज देना होता है इसका महत्व भी उतना ही होता है जितना मीटिंग में उपस्थित निवेशकों द्वारा दी गई वोटिंग का होता है।
कंपनी इस बैलट में उन सभी रिजों ल्यूशन (मुद्दों)का विवरण देती है और ये निर्णय क्यों लिऐ गए उसका कारण भी बताती है शेयर धारक को इसमें आपने स्वयं की संख्या तथा इन निर्णयों के पक्ष या विपक्ष में वोट देना होता है इसके बाद पोस्टल बैलट के साथ आए नाम पते वाले लिफाफे मैं इसे डाल कर कंपनी को भेज देना होता है। इस प्रकार हम इस लेख में यह दर्शित किया हूं की ओनरशिप क्या है, सूचना का लाभ ,डिविडेंड और जनरल मीटिंग ता अधिकार, अतिरिक्त शेयर का लाभ ,कंपनी की सर प्लस का अधिकार, शेयरों का स्थानांतरण और पोस्टल बैलट क्या है इन सभी को सरल भाषा में इस लेख में दर्शाया गया है।https://shivasharemarket.com/
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